वासुदेव की प्रेरणा से एक दिन नन्द के गोकुल में आये। वासुदेव की प्रेरणा से एक दिन नन्द के गोकुल में आये।
श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित अक्रूर जी रथ पर सवार हुए। श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित अक्रूर जी रथ पर सवार हुए।
श्री शुकदेव जी कहते हैं, अक्रूर का कृष्ण, बलराम ने सत्कार किया भली भांति । श्री शुकदेव जी कहते हैं, अक्रूर का कृष्ण, बलराम ने सत्कार किया भली भांति ।
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित देखा भगवान ने कि माता पिता को। श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित देखा भगवान ने कि माता पिता को।
वही द्रोण नन्द हुए और धरा जन्मीं यशोदा के रूप में। वही द्रोण नन्द हुए और धरा जन्मीं यशोदा के रूप में।
लोकमर्यादा की रक्षा के लिए वहीं पर यज्ञ किया था उन्होंने। लोकमर्यादा की रक्षा के लिए वहीं पर यज्ञ किया था उन्होंने।